Sunday 26 December 2010
हे अनंत ...
भूख प्यास रोक कर -
देह अग्न में झोंक कर,
केवल तुझे ही खोजता हूँ-
मैं खोजता केवल तुम्हे १
हो रूप-बेरूप -
या हो बहरूपिया ?
हे अनंत खोजता हूँ
अंत न मिले मुझे..
हो कल्पना का छोर तुम
या भ्रम हो मेरी बुद्धि का,
हे ब्रह्म तुमको खोजता हूँ
पर ब्रह्म न मिले मुझे १
तुम हो क्षितिज जो सत्य है
किन्तु है असत्य भी,
हे अगम्य छूना चाहू-
पर छू न पाऊ मैं तुम्हे ...
अव्यक्त होकर खेलते हो -
अदृश्य हो प्रेरित करे ,
हो मूक मुझको रच रहे
शब्दों से मैं भी खेलता हूँ
आज शब्द न मिले मुझे १
अनंत मन में भेद हैं-
अनंत तेरे नाम भी ,
हो मूल या हो भाग मेरा ?
तुम हो परे मेरी सोच से,
सीमाएँ तेरी छूना चाहूँ ,
किन्तु सक्षम नहीं मैं
लांघने कोअपनी हदें !!
Tuesday 7 December 2010
जगमगाता शहर
इस जगमगाते शहर में
मानव जैसे खो गया है
देखा टटोलकर बहुत जन को
अंतर्मन सबका जैसे खो गया है १
कहीं खो गयी संवेदना
जो मानवता का श्रृंगार है
प्रगति पथ पर बढते मानव की-
सबसे बड़ी ये हार है १
आडंबर से ओतप्रोत
सबने खोया अपना होश है
इस मानव मन की विकृति के पीछे-
आखिर किसका दोष है ?
क्यों छोड़ मूल भाव ह्रदय के -
सब ऊचाई को चाहते हैं ?
क्यूँ भूल रहे सत्य यह शाश्वत
शुद्ध अंत:करण है जिनका
वे जन ही ऊचाई को पाते हैं १
ढल गया दिन हुई जगमग राहें
इन राहों पर मैं भी चलता हूँ
ढलते हुए हर दिन क साथ
पल-पल मैं भी ढलता हूँ १
घुटता है दम यहाँ,
साँसों मे भी भारीपन है
शिकायत तो नहीं किसी से,
किन्तु यहाँ लगता नहीं मेरा मन हैं १
सांझ हुई है,
इस वेला में-
हे इष्ट तुम्हे वंदन करता हूँ,
नहीं खोने देना मुझको चमक मे
खो जाने से मैं डरता हूँ ११
मानव जैसे खो गया है
देखा टटोलकर बहुत जन को
अंतर्मन सबका जैसे खो गया है १
कहीं खो गयी संवेदना
जो मानवता का श्रृंगार है
प्रगति पथ पर बढते मानव की-
सबसे बड़ी ये हार है १
आडंबर से ओतप्रोत
सबने खोया अपना होश है
इस मानव मन की विकृति के पीछे-
आखिर किसका दोष है ?
क्यों छोड़ मूल भाव ह्रदय के -
सब ऊचाई को चाहते हैं ?
क्यूँ भूल रहे सत्य यह शाश्वत
शुद्ध अंत:करण है जिनका
वे जन ही ऊचाई को पाते हैं १
ढल गया दिन हुई जगमग राहें
इन राहों पर मैं भी चलता हूँ
ढलते हुए हर दिन क साथ
पल-पल मैं भी ढलता हूँ १
घुटता है दम यहाँ,
साँसों मे भी भारीपन है
शिकायत तो नहीं किसी से,
किन्तु यहाँ लगता नहीं मेरा मन हैं १
सांझ हुई है,
इस वेला में-
हे इष्ट तुम्हे वंदन करता हूँ,
नहीं खोने देना मुझको चमक मे
खो जाने से मैं डरता हूँ ११
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